प्रेम ही है सभी संबंधों का आधार,
प्रेम से ही प्रदर्शित होता है हमारा व्यवहार,
प्रेम ने हमारे जीवन को कई रूपों में स्पर्श किया है-
प्रेम जब माता-पिता से हुआ तो श्रवण कुमार जैसा लाल हुआ।
पितृ-प्रेम में तो वनवास भी स्वीकार हुआ।
भ्राता-प्रेम में त्याग सब वैभव किया।
मित्र-प्रेम में ही श्री कृष्ण से सुदामा को दो लोकों का अधिकार मिला।
सावित्री-सत्यवान प्रेम से तो यमराज भी डगमगा गया।
बाँसुरी की तान से कृष्णमय पूरा बृजग्राम हुआ।
प्रेम जब देश से हुआ तो सपूत भगत सिंह हुआ,
जलियाँवाला कांड हुआ, देश नतमस्तक हुआ।
प्रेम आत्मसम्मान बना तो पद्मावती का जौहर हुआ।
प्रेम मीरा को हुआ तो समर्पित तन-मन हुआ।
प्रेम जब आदर बना तो एकलव्य का अँगूठा कटा।
प्रेम प्रकृति से हुआ तो कवि सुकुमार सुमित्रानंदन पंत हुआ।
प्रेम जब अनुराग से बँधा तो पहाड़ भी समतल बना।
भक्तों के प्रेम में भगवान भी धरती पर लेते हैं अवतार।
इतिहास साक्षी है .. जब-जब धरा पर प्रेम का ह्रास हुआ तो महाभारत हुआ।
प्रेम से होता है सम्मान और सद्भावना का संचार।
प्रेम ही खोलता है उन्नति के द्वार।
प्रेम से होगा इस विश्व का कल्याण।
प्रेम में ही निहित हैं अपनत्व के भाव।
आओ मिलकर करें हम प्रेम से प्रणाम!
सीमा रानी गोयल
(सिंगापुर)
जीवन परिचय
मैं सीमा गोयल, स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त, विगत पंद्रह वर्षों से सिंगापुर में हिन्दी की शिक्षिका के रूप में अध्यापन और हिन्दी के गवेल क्लब की कांउसलर के पद पर कार्य कर रही हूँ, जिसमें बच्चों को विदेशी भूमि पर भी हिन्दी में आत्मविश्वास के साथ वाक् कुशलता और नेतृत्व के गुणों को विकासित करने का अवसर मिलता है। सिंगापुर में कई वर्षों तक त्रैमासिक हिंदी पत्रिका के संपादन का कार्य किया है। भावी पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने के लिए संस्कृत श्लोक स्पर्धा, पंचतंत्र कथा प्रतियोगिता तथा वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का सतत् आयोजन करती हूँ। आंग्लभाषा से हिंदी में रूपांतरण कार्य हेतु 2024 में “सिंगापुर टॉस्टमास्टर्स (डिस्ट्रिक्ट) द्वारा ‘हॉल ऑफ़ फेम” पुरस्कार” से पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। कविता के माध्यम से मैं अपनी अभिव्यक्ति और कल्पना को नित नई उड़ान देती हूँ।
धन्यवाद
सीमा रानी गोयल